परिचय:


झाँसी भारत देश के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक शहर है। झाँसी शहर महायोध्या रानी लक्ष्मी बाई के साथ सम्बद्ध है जो कि भारत वर्ष के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की अग्रणी भी है।

झाँसी उत्तर प्रदेश राज्य की सीमा के दक्षिणी दिशा में पहूज नदी के तट पर बुन्देलखण्ड क्षेत्र में स्थित है। झाँसी जिला एवं मण्डल का प्रशासनिक मुख्यालय है। झाँसी पहूज एवं बेतवा नदियों के तट पर स्थित है, जिसकी समुद्र तट से औसतन ऊचाई 285 मीटर है। झाँसी को बुन्देलखण्ड का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।

प्राचीनकाल में झाँसी चंदेला राजपूत राज्यों का गढ़ हुआ करता था एवं बलवंत नगर के नाम से जाना जाता था। यद्यपि 11वीं शताब्दी में चंदेल वंश के पतन के पश्चात् इस क्षेत्र का महत्व कम हो गया, 1613 ईस्वीं में यहां सर्वप्रथम बांगरा की पहाड़ी पर ओरछा के प्रसिद्ध बुंदेला राजा वीर सिंह जूदेव द्वारा एक किले का निर्माण कराया गया। तत्पश्चात निकटवर्ती बस्ती को बलवंत नगर कहा जाने लगा।

बाजीराव पेश्वा द्वारा नियुक्त मराठा सरदार नारू शंकर ने अपने शासन काल (1742-1757) के दौरान किले का विस्तार किया एवं इसे एक शहर का रूप दिया, तदापि नारू शंकर को झाँसी शहर का वास्तविक संस्थापक कहा जा सकता है। 18वीं. शताब्दी में झाँसी शहर मराठा प्रांत की राजधानी एवं तत्पश्चात 1784 से 1858 तक झाँसी की रियासत के रूप में कार्य करता रहा, तत्पश्चात् यह ब्रिटिश

साम्राज्य का भाग बना। झाँसी नगर निकाय की स्थापना वर्ष 1867 में की गयी।

यह शहर उत्तर प्रदेश की दक्षिणी पश्चिमी सीमा पर 2010 26 उत्तरी अक्षांश एवं 780 35 पूर्वी देशान्तर पर स्थित है। झाॅसी पूर्व-पश्चिम एवं उत्तर दक्षिण राष्ट्रीय राजमार्ग काॅरीडोर से सम्बद्ध है।

राष्ट्रीय राजमार्ग 27 (कानपुर-शिवपुरी मार्ग) झाँसी शहर के मध्य से होकर निकलता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 44 झाँसी को मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर एवं भोपाल तथा राष्ट्रीय राजमार्ग 39 झाँसी-प्रयागराज को जोड़ता है। शहर, देश के अन्य महत्वपूर्ण शहरों जैसे लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, मुम्बई तथा देश की राजधानी दिल्ली आदि के साथ रेल नेटवर्क के माध्यम से उचित प्रकार से जुड़ा हुआ है। यह मध्य रेलवे के महत्वपूर्ण जंक्शनों एवं मध्य रेलवे के मण्डल मुख्यालयों मे से एक है।

भौगोलिक क्षेत्र की दृष्टि से शहर पठारी क्षेत्र के अन्तर्गत पड़ता है। नगर एवं उसके सीमावर्ती क्षेत्र की स्थलाकृति ऊंची-नीची है। शहर के अन्य क्षेत्रों क्रमशः कानपुर मार्ग पर आवास विकास कालौनी, विश्वविद्यालय कालौनी, शिवाजी नगर, वीरांगना नगर, ललितपुर मार्ग पर हंसारी गांव, शिवपुरी मार्ग पर आवास विकास कालौनी एवं पहूज नदी तक व ग्वालियर मार्ग पर कर्तन रूप में विकास समतल भूमि प्रवृत्ति के कारण तीव्र गति से हुआ है।

1.2 संक्षिप्त पृष्ठभूमि-झाँसी विकास क्षेत्र झाँसी शहरी क्षेत्र के अनियोजित एवं अनियमित विकास को रोकने हेतु उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा वर्ष 1967 में झाँसी शहर व उसके 8 वर्ग किलो मीटर क्षेत्र में उत्तर प्रदेश (भवन संचालन के विनियमन अधिनियम 1958) के अन्तर्गत एक विनियमित क्षेत्र में रूप में घोषित किया गया। तत्पश्चात

वर्ष 1978 में, उक्त क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा संशोधित करते हुऐ नगर पालिका परिषद क्षेत्र व निकटवर्ती 39 राजस्व ग्रामों को सम्मलित किया गया। वर्ष 1984 में, अधिसूचना संख्या के द्वारा 223/11-5-84-9 /क्ण्।/81 द्वारा राज्य सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन एवं विकास अधिनियम 1973 के अन्तर्गत नगर क्षेत्र व निकटवर्ती 39 गांवों को सम्मिलित करते हुऐ विकास क्षेत्र घोषित किया गया। जिसका कुल क्षेत्रफल 309 वर्ग किलो मीटर है।

उपरोक्त के तारतम्य में, वर्ष 2013 में झाँसी विकास क्षेत्र की सीमा का विस्तार करते हुऐ विकास क्षेत्र में 62 गांवों को सम्मिलित किया गया। वर्तमान में, झाँसी विकास क्षेत्र में नगर निकाय सीमाऐं क्रमशः झाँसी नगर निगम, रेलवे टाउनशिप, छावनी क्षेत्र, खैलार जनगणनीय शहर, पारीछा जनगणनीय शहर व बड़ागांव नगर पंचायत एवं बरूआसागर नगर पालिका परिषद व 101 गांव (नगर पालिका सीमा के अन्तर्गत आने वाले 18 गांवों सहित सम्मिलित है, जिनका कुल क्षेत्रफल 732 किलोमीटर है।

Objective



Preparation of Master Plan for Planned Urban Development.

Development & Control as per Master Plan

Acquisition of Land and Management for Housing and Urban Development.

Provision of Physical and Social Infrastructure in the city.

Providing houses at low cost to economically weaker section.